Home Travel Story जानिये हिमाचल की वादियों में छिपे उस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में जिसे पांडवों ने बनवाया था! | Himachal pradesh best tourist place | Masrur Temples

जानिये हिमाचल की वादियों में छिपे उस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में जिसे पांडवों ने बनवाया था! | Himachal pradesh best tourist place | Masrur Temples

2 second read
0
0
1,970

आज हम आपको एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके इतिहास का अंदाजा तक कोई नहीं लगा पाया। कुछ कहानिया हैं, दन्त कथाएं और मंदिर के गर्भ गृह में अभी भी श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। ये मंदिर Himachal Pradesh

के कांगड़ा जिले के मसरूर गांव में स्थित हैं। कुल 15 बड़ी चट्टानों पर ये मंदिर बना हैं जिसे हम रॉक कट टेंपल के नाम से जानते हैं।

हिमालयन पिरामिड के नाम से विख्यात बेजोड़ कला के नमूने रॉक कट टेंपल मसरूर एक अनोखा और रहस्यमयी इतिहास समेटे हुए हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार शायद 8वीं सदी में बना यह मंदिर उत्तर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है। देखा जाए तो पत्थरों पर ऐसी खूबसूरत नक्काशी करना बेहद मुश्किल काम है। ऐसे में ये कारीगरी करने के लिए दूर से कारीगर लाए गए थे। लेकिन यह कारीगरी किसने की इसके आज तक पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए हैं।

इन्हें अजंता-एलोरा ऑफ हिमाचल भी कहा जाता है। हालांकि ये एलोरा से भी पुराने हैं। पहाड़ काट कर गर्भ गृह, मूर्तियां, सीढ़ियां और दरवाजे बनाए गये हैं। मंदिर के बिल्कुल सामने मसरूर झील है जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है।

दंत कथाओं के अनुसार पांडवो ने किया था निर्माण

झील में मंदिर के कुछ हिस्सों का प्रतिबिंब दिखाई देता है। उत्तर भारत में यह इस तरह का एकलौता मंदिर हैं। सदियों से चली आ रही दन्त कथाओं के मुताबिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था और मंदिर के सामने खूबसूरत झील को पांडवों ने अपनी पत्नी द्रोपदी के लिए बनवाया गया था।

मंदिर की दीवार पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश और कार्तिकेय के साथ अन्य देवी देवताओं की आकृति देखने को मिल जाती हैं। बलुआ पत्‍थर को काटकर बनाए गए इस मंदिर को 1905 में आए भूकंप के कारण काफी नुकसान भी हुआ था। इसके बावजूद ये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सरकार ने इसे राष्ट्रीय संपत्ति के तहत संरक्षण दिया है। मंदिर को सर्वप्रथम 1913 में एक अंग्रेज एचएल स्टलबर्थ ने खोजा था।

देश का एकलौता मंदिर
8वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था तथा समुद्र तल से 2500 फुट की ऊंचाई पर एक ही चट्टान को काट कर बना देश का एकमात्र मंदिर माना जाता है।

स्वर्ग जाने का मार्ग
आज भी विशाल पत्थरों के बने दरवाजानुमा द्वार हैं, जिन्हें ‘स्वर्गद्वार’  के नाम से जाना जाता है। कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार, पांडव अपने स्वर्गारोहण से पहले इसी स्थान पर ठहरे थे, जिसके लिए यहां स्थित पत्थरनुमा दरवाजों को ‘स्वर्ग जाने का मार्ग’ भी कहा जाता है।

इस कारण नहीं है पूर्ण मंदिर
इसको लेकर कहा जाता है कि मंदिर बलुआ पत्थरों से बना हुआ है। जिसमें ज्यादा खोदने से दरारे अाने लगी थी। जिसके कारण यह आज भी अधूरा है।

ऐसे पहुंचे यहां
चलिए अब हम आपको बताते हैं की आप मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं। हिमाचल के काँगड़ा जिले से मसरूर रॉक कट टेम्पल की दूरी लगभग 35 किलोमीटर हैं जिसे आप सरकारी बस सेवा लेकर ये दूरी तय कर सकते हैं।  कांगड़ा से रानीताल, फिर वहा से लुंज और फिर मसरूर। लेकिन सुझाव हैं की आप वहां अपने निजी वाहन से जाए या फिर कांगड़ा से टैक्सी भी ले सकते हैं जिसकी ज़्यादा से ज़्यादा कीमत सिर्फ 1000 रुपये आएगी।

Load More Related Articles
Load More By Traveller Baba
Load More In Travel Story

Leave a Reply

Check Also

Chirtakoot Reverie – A Trip to Serenity, Journey to the land of monsoon bliss

Blog By – Sushmita Pandey Dark hills scattered all across the land of fantastical tr…