Written By- Pradyumn Tiwari
जलियांवाला बाग……… मनोरम बगीचा जो कि एक तीर्थ स्थल के नजदीक होने की वजह से श्रद्धालुओं के लिए समय व्यतीत करने का उद्गगम स्थान व राजनीतिक इकाइयों के लिए मंत्रणा का एक रहस्यों से भरा हुआ क्षेत्र. 1915 वह वर्ष जब हमारे देश को स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदलने वाला नायक मिला जिसने अपने विचारों के दम पर पूरे देश को एकजुटता का ज्ञान दिया|
समय बीतता गया और छोटे-छॊटॆ संघर्षों मे विजय पाते हुए लोगो का उत्साह भी बढता गया.
अंग्रेजी सरकार ने इस आग को भयावह होने से रोकने के लिए- ( सेडीशन कमीटी ) की स्थापना की जिसकी अध्यक्षता सर सिडनी राॅलॆट कर रहे थे.
एक्ट को इम्पीरियल लेजिस्लेशन मे भारतीय सदस्यों के विरोध करने के बावजूद तीव्रता से पास कर दिया गया मानो भारत मे चल रही राजनीतिक गतिविधियों से अपने शासन की कब्र नज़र आने लगी हो|
इस एक्ट ने सरकार को अत्यधिक ताकत प्रदान करते हुए देश मे चल रहे राजनीतिक गतिविधियों को दबाने मे सहयोग दिया और राजनीतिक प्रिज़नर्स को बिना परीक्षण के दो वषोॅ की सज़ा सुना दी गई|
देश भर मे विरोध की लहर थी, 9 अप्रैल 1919 को पंजाब मे दो राष्ट्रवादी नेता – सैफुद्दीन किचलिव व डा. सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया गया| अपने चहेते नेता के गिरफ्तार होते ही वहा की जनता में विरोध की ज्वाला धधक उठी और वातावरण हिंसक रूप लेने लगा, कारण वश राज्य में मारशियल कानून लगा दिया गया|
पंजाब के कानून व्यवस्था को सम्भालने का जिम्मा ब्रिगेडियर -जनरल डायर को सौप दिया गया|
13 अप्रैल 1919 , बैसाख का दिन और वही बगीचा जो दो अलग अलग कार्यो का निऱवहन करते हुए काफी समय से चला आ रहा था| चूकि हज़ारों की संख्या में जुटे वहा लोग इस बात से अवगत ही नही थे कि राज्य में मारशियल कानून का पालन कराने हेतु अंग्रेजी हुकूमत ने एक निर्दयी को चुन लिया है, और इसी प्रक्रिया में डायर अपने सेना के साथ उन उपस्थित लोगो को चारों ओर से घेरकर बिना चेतावनी दिए उनपर गोलियां चलाने का आदेश दे देता है|
मेरे हाथ इस संदर्भ का विश्लेषण देते हुए काप गए इससे आप गोली चलवाने और चलाने दोनों की निर्ममता को समझ सकेंगे|
1600 से अधिक गोलियां चलाई गई बगीचा अब रण भूमि में परिवर्तित हो चुका था जहाँ एक दल ही उत्तम था दूसरे दल मे तो केवल लाशें थी जिनमें से आज भी वो रूदन सुनाई पड़ जाता है|
आज 100 वर्ष गुज़र गए पर उस संवेदनशीलता को हर भारतीय मेहसूस करता है, ये दिन हमारे देश को सुदृढ़ बनाने में अभिन्न अंग निभाता है क्योंकि आज हम सज़ग होते हुए और इतिहास से प्रेणना लेते हुए अपने देश को विकासशील से विकसित बनाने की ओर अग्रसर है|